नेपाल में प्रदर्शनकारियों की मौत और हिंसक घटना पर संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता, ओली सरकार को नसीहत

Shwet Patra

रांची (RANCHI): संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने नेपाल में प्रदर्शनकारियों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए इस घटना की त्वरित और पारदर्शी जांच करने का आग्रह किया है.


 हिंसक घटना की त्वरित और पारदर्शी जांच का आह्वान 

ओएचसीएचआर प्रवक्ता रवीना शमदासानी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रदर्शनों के दौरान मौतों की खबरों से वह "स्तब्ध" है. बयान में कहा गया है, "हम नेपाल में प्रदर्शनकारियों की मौत और हिंसक घटना की त्वरित और पारदर्शी जांच का आह्वान करते हैं.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी  विरोध प्रदर्शन शुरू

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार के प्रतिबंधों बाद युवाओं का यह विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था. प्रदर्शनकारियों ने इस कदम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार देते हुए इसकी निंदा की. संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के अनुसार, रिपोर्ट से पता चलता है कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शन के दौरान अनावश्यक बल का उपयोग किया.

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों का सम्मान करने का आग्रह 

शमदासानी ने कहा कि"बल प्रयोग, विशेष रूप से आग्नेयास्त्रों के प्रयोग में मौलिक अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का पालन करना चाहिए. हम अधिकारियों से शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों का सम्मान करने और उन्हें सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं." वहीं ओएचसीएचआर ने नेपाल सरकार को उसके अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों की भी याद दिलाई है और सुरक्षा कर्मियों द्वारा बल प्रयोग में जवाबदेही का आह्वान किया है.

क्या है मामला

4 सितंबर को सरकार द्वारा फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने के फैसले से भड़की थी, क्योंकि ये प्लेटफॉर्म स्थानीय स्तर पर पंजीकरण, शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति और चिह्नित सामग्री को हटाने की समय सीमा का पालन करने में विफल रहे थे. एक सार्वजनिक नोटिस जारी करते हुए, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा था कि उसने "नेपाल दूरसंचार प्राधिकरण को सभी गैर-पंजीकृत सोशल मीडिया साइटों को तब तक निष्क्रिय करने का आदेश दिया है जब तक कि वे पंजीकृत नहीं हो जातीं."

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