रांची (RANCHI): अब मुंडारी, संताली, पुई, गोंडी और भीली आदिवासी भाषा का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद हो सकेगा. सोमवार को जनजातीय कार्य मंत्रालय की पहल पर आदिवाणी ऐप की शुरुआत की गई. यह जनजातीय भाषाओं का अनुवाद करने में सक्षम है.
ऐप के जरिये डिजिटल और ग्लोबल होंगी आदिवासी भाषाएं
अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में जनजाति मामलों के राज्यमंत्री दुर्गादास उइके भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि इस ऐप के जरिये आदिवासी भाषाएं डिजिटल और ग्लोबल होंगी. आदिवासी भाषाओं के डिजिटलीकरण की दिशा में यह एक बड़ा कदम है. भविष्य में इसके जरिये लोगों तक जनोपयोगी सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जाएगी.
एक किल्क में मिलेगा किसी भी टेक्स्ट, वॉइस या डॉक्यूमेंट का अनुवाद
इस ऐप के जरिये टेक्स्ट, वॉइस या डॉक्यूमेंट को बस टाइप या अपलोड करना है. यह उसका अनुवाद तुरंत कर देता है. इसके जरिए आदिवासी भाषा का अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी में हो सकता है. फिलहाल ऐप के जरिये पांच आदिवासी भाषाओं को जोड़ा गया है. झारखंड से मुंडारी, ओडिशा से संताली और पुई, छत्तीसगढ़ की गोंडी और मध्यप्रदेश की भीली भाषा शामिल है. भविष्य में इसमें और भाषाओं को जोड़ा जा सकेगा. यह ऐप सिर्फ अनुवाद ही नहीं करता है, बल्कि शब्दकोश का भी काम करता है.