पूर्णिमा श्राद्ध के साथ शुरू होगा पितृ पक्ष, इन बातों का ध्यान रखने से पित्रों को मिलेगी शांति

Shwet Patra

रांची (RANCHI):हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है. यह 15 दिनों का कालखंड होता है जिसमें लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और श्राद्ध कर्म करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं, इसलिए तर्पण या श्राद्ध करने से आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत और समाप्ति ग्रहण के दिन होगी. 

पितृ पक्ष कब शुरू होगा?

पितृ पक्ष 7 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध के साथ शुरू होगा, प्रतिपदा श्राद्ध 8 सितंबर को होगा.  पितृ पक्ष 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगा. महालया अमावस्या पितृ पक्ष में सबसे महत्वपूर्ण दिन है.

इन बातों का रखें ध्यान

पितृ पक्ष में सभी जीवों का सम्मान करें और उन्हें भोजन कराएं। ऐसा माना जाता है कि जीवों को भोजन कराने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इसके साथ ही कुंडली से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है. वहीं, इस दौरान रोजाना पितरों का तर्पण जरूर करना चाहिए. इससे पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

इस समय क्यों नहीं करना चाहिए मंगल कार्य?

श्राद्ध पक्ष में कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण आदि नहीं किए जाते. यह समय पितरों को समर्पित होता है, न कि उत्सव मनाने का.इन दिनों में हर्षोल्लास या नई शुरुआत से पितरों को अशांति मिल सकती है, और वे अप्रसन्न हो सकते हैं, जिससे पितृ दोष लग सकता है. इसलिए, यह समय श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य के माध्यम से पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित किया जाता है, जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो सके. 

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