रांची (RANCHI): अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियों और व्यापार युद्ध की चुनौतियों के बीच भारत ने इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में मजबूती दिखाई है. अगस्त 2025 में देश से इंजीनियरिंग सामानों का निर्यात 4.9 प्रतिशत बढ़कर 9.90 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा 9.44 अरब डॉलर था.
अप्रैल से अगस्त में कुल निर्यात 5.84 प्रतिशत की हुई बढ़ोतरी
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी इंडिया) के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) में कुल निर्यात 5.84 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 49.24 अरब डॉलर तक पहुंच गया.
अगस्त में हुई यह बढ़ोतरी उत्साहजनक
ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा कि अगस्त में हुई यह बढ़ोतरी उत्साहजनक है, लेकिन अमेरिकी शुल्कों की वजह से तनाव के शुरुआती संकेत भी दिख रहे हैं. जुलाई की तुलना में अगस्त में निर्यात लगभग पांच प्रतिशत घटा. चड्ढा ने बताया कि करीब 20 अरब डॉलर मूल्य के भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात अमेरिकी शुल्कों की चपेट में हैं, जिससे यह क्षेत्र संवेदनशील बना हुआ है.
इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम फिर से लागू करने की मांग
ईईपीसी इंडिया ने सरकार से ब्याज समानता योजना (इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम) को फिर से लागू करने की मांग की है, ताकि निर्यातकों को सस्ती दरों पर वित्त उपलब्ध हो सके. इसके अलावा मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव (एमएआई) को भी पुन: शुरू करने और मजबूत करने की जरूरत बताई गई है. इस योजना से छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को नए बाजारों की खोज करने, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में भाग लेने और वैश्विक स्तर पर भारत की इंजीनियरिंग क्षमता को प्रदर्शित करने का अवसर मिल सकता है.